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नैनीताल रोड पर जानवरों की जुगाली स्ट्रेट ड्राइव: मनोज लोहनी डिस्क्लेमर: यहां राजनीति, नेताजी, वोट, शराब, रेता आदि शब्दों का किसी भी नेता से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई लेना-देना बिलकुल भी नहीं है। नैनीताल रोड पर बीच सड़क गायों की जुगालीकरण क्रिया सतत, सनातन है। जुगालीकरण की इस क्रिया की कोई प्रतिक्रिया नहीं। इस क्रिया में पेट में गया माल फिर से मुंह की तरफ आता है। उसे अच्छी तरह चबाया जाता है। जुगाली में गायों के मुंह के किनारे से झाग आउटपुट के रूप में निकलता है, यानि जुगाली करने का आउटपुट जरूर है। जाहिर है, जुगाली वहीं होती है जहां पेट में माल होता है। जानवरों को जुगाली करते हुए देख मन में ख्याल आया, जानवरों के बीच जानवर-तंत्र आगे बढ़ाकर उनके बीच राजनीति और चुनाव होता तो! गायों के जुगालीकरण की क्रिया के बीच में चुनाव जैसा बेहद टेक्निकल टर्म कहां से ? जुगाली करने और राजनीति में कुछ समानता तो है। जुगाली करने के लिए पहले पेट भरकर चरना होता है। नेता भी तो पेट भरते हैं..। अमां यार टॉपिक क्यों चेंज कर रहे हो, हम जानवरों के चरने, उनकी जुगाली की बात पर आगे बढ़ रहे हैं। सवाल जानव
राष्ट्रपति शासन में प्रशासन का खनन कनेक्शन... मनोज लोहनी चूंकि लोकल परीक्षाओं के पर्चे में लोकल मुद्दों से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। लिहाजा इस बार एक प्रतियोगी परीक्षा के पर्चे में एक सवाल आया है, 'राष्ट्रपति शासन में प्रशासन का खनन कनेक्शनÓ पर लेख लिखें। एक छात्र का लेख इस प्रकार है। खनन का अर्थ किसी भी नदी में चुगान से होता है जिसमें नदियों का स्तर समतल करने के लिए वहां से एक निश्चित खनन सामग्री निकाली जाती है। मगर राज्य की नदियों में खनन का मतलब नदियों को तब तक खोदने से होता है जब तक कि गौला जैसी नदी में बने गौला पुल के खंबों की जड़ें बाहर झांकना शुरू नहीं कर देती हैं। कभी-कभी यह चुगान इतना भी हो जाता है कि गौला पुल गिर भी जाता है। मैदान में खनन होना वहां से दृष्टिगोचर होता है जब पहाड़ों में बारिश से बहकर आई रेता-बजरी मैदान में जहां-तहां बड़े-बड़े पहाड़ों के रूप में नजर आने लगती है। पहाड़ से खिसककर मैदान में बने यह पहाड़ अक्सर रिहायशी मोहल्लों के आसपास दिखाई पड़ते हैं। खनन सामग्री जमा करने तक राष्ट्रपति शासन और प्रदेश शासन की कार्रवाई में कोई फर्क नहीं होता है। मगर उसके बाद र